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Saturday, 23 April 2016

दिल के किसी कोने विच

दिल के किसी कोने विच,आज तेरे मिलने दी
आस है
होर ना मंगदे कुज दाता,बस तेरे दर्शना दी
लोड आ 

सब्र नही हैं मुझको

सब्र नही हैं मुझको ,बस इन्तजार हैं

मुझे मेरे सतगुरु का पाना दीदार हैं

यकीन हैं आयेंगे मेरे सतगुरु

क्योंकि उन्हें भी अपने बच्चों से

बेइंतहा प्यार है.....

कैसे कहदूँ कि मेरी.....

कैसे कहदूँ कि मेरी.....
                हर  दुआ बेअसर हो गई !
मै जब जब भी रोया....
             सतगुरु को खबर हो गई !!

एक रात धड़कन ने आँख से

एक रात धड़कन ने आँख से
पूछा तू सतगुरू जी मे इतनी
क्यो खोई है ?
तब दिल से आवाज आई
सतगुरू जी ने सारी खुशियाँ
दी है॥
वरना जमाने से प्यार करके
तो आँखे रोई है॥

एक व्यक्ति ने एक गुरु से पुछा

एक व्यक्ति ने एक गुरु से पुछा :

भक्ति करने का बेहतरीन दिन कौन सा है ?

गुरु ने प्यार से कहा - मौत से एक दिन पहले...

व्यक्ति : मौत का तो कोई वक़्त नहीं...!

गुरु ने मुस्कुराते हुए कहा - तो ज़िंदगी का हर दिन आख़री समझो...!

गुरु ने हँसाया है मुझे

आंसू पोंछ कर मेरे
गुरु ने हँसाया है मुझे
मेरी हर गलती पर भी मेरे
गुरु ने सीने से लगाया है मुझे
विश्वास क्यों न हो मुझे अपने गुरु पर
मेरे गुरु ने हर हाल में
जीना सिखाया है मुझे: "

यह गुरु का दर है यहाँ मनमानी नही होती,

यह गुरु का दर है यहाँ मनमानी नही होती,
यह बात भी पक्की है कि कोई परेशानी नही होती,
कुछ तो बात होगी मेरे गुरु में,
यूंही दुनिया इनकी दीवानी नही होती..."

मौत नहीं पुछती किसी के घर का रास्ता

मौत नहीं पुछती किसी के घर का रास्ता
वह तो पास बुलाती है
आहिस्ता अाहिस्ता
सिमरन कर ले मेरे मन,
तुझे मेरे सतगुरू का वास्ता 

सेवा ऐसी चीज़ है,

सेवा ऐसी चीज़ है,
जितनी कर लो, उतनी कम है ।
सुमिरण ध्यान मे,
जितना डूबो, उतना कम है ।
सतगुरू दर्शन,
जितना कर लो, उतना कम है

रोम-रोम मे हमारे वो बसे है,

रोम-रोम मे हमारे वो बसे है,
नज़रे हमारी और चेहरा उनका है,
हर साँस मे हमारी वो बसे है,
धड़कने हमारी और दिल उनका है.

कर्मो से ही पहचान होती हैं इंसानो

कर्मो से ही पहचान होती हैं इंसानो
की दुनिया में,
अच्छे कपड़े तो बेजान पुतलों को भी पहनाये जाते है
दुकानों में!

जग का रिश्ता कच्चा धागा,

जग का रिश्ता कच्चा धागा,
गुरू का रिश्ता पक्की डोर !
जग की ओर क्या देखे वो,
जो देखे हर दम सतगुरू की ओर..!!!!

जाफी मै भर ल्यूंगा

जाफी मै भर ल्यूंगा
कब्जे मै कर ल्यूंगा
सतनाम धनी
सभी से छुपा ल्युंगा
अपनी जान बना ल्यूंगा
मस्तान धनी 

इलाही है दरबार

इलाही है दरबार
साडी सच्ची हैसरकार
ना कोई दुखीनालाचार
सब लूटदे मौजबहार
मेरा ऐसा सोहणायार
जो सीना देवे ठार

असी पत्ते सी पतझड़ दे

असी पत्ते सी पतझड़ दे
हुण होगे कली बहारां दी
ऐसी रहमत पई सतगुरू
तेरे प्यारा दी़...

साडा सतगुरू साडे नाल

साडा सतगुरू साडे नाल
फिक्र हुण किस गल्ल दा
साडी पल पल करदा संभाल
फिक्र हुण किस गल दा

मुझे नहीं फर्क पड़ता

मुझे नहीं फर्क पड़ता कौन मेरी छवि बिगाड़ रहा है मुझे तो पता है कि मेरा सतगुरु
मेरी किस्मत संवार रहा है।

गुरु की तारीफ़ करूं कैसे,

गुरु की तारीफ़ करूं कैसे,
मेरे शब्दों में इतना ज़ोर नहीं...
सारी दुनिया में जाकर ढूंढ लेना,
मेरे गुरु जैसा कोई और नहीं.

रब नज़र नहीं आता..,

कौन कहता है ...,
रब नज़र नहीं आता..,
वही नज़र आता है..,
जब नज़र कुछ नहीं आता..!!⁠⁠⁠⁠

Friday, 22 April 2016

रोम-रोम मे हमारे वो बसे है

रोम-रोम मे हमारे वो बसे है,
नज़रे हमारी और चेहरा उनका है,
हर साँस मे हमारी वो बसे है,
धड़कने हमारी और दिल उनका है.

 

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