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Friday 22 April 2016

जग का रिश्ता कच्चा धागा,

जग का रिश्ता कच्चा धागा,
गुरू का रिश्ता पक्की डोर !
जग की ओर क्या देखे वो,
 जो देखे हर दम सतगुरू की ओर..!!!!

जाफी मै भर ल्यूंगा

जाफी मै भर ल्यूंगा
कब्जे मै कर ल्यूंगा
सतनाम धनी
सभी से छुपा ल्युंगा
अपनी जान बना ल्यूंगा
मस्तान धनी

इलाही है दरबार

इलाही है दरबार
साडी सच्ची हैसरकार
ना कोई दुखीनालाचार
सब लूटदे मौजबहार
मेरा ऐसा सोहणायार
जो सीना देवे ठार

असी पत्ते सी पतझड़ दे

असी पत्ते सी पतझड़ दे
हुण होगे कली बहारां दी
ऐसी रहमत पई सतगुरू
तेरे प्यारा दी़...

साडा सतगुरू साडे नाल.....

साडा सतगुरू साडे नाल
फिक्र हुण किस गल्ल दा
साडी पल पल करदा संभाल
फिक्र हुण किस गल दा

सो जाता है हर कोई

सो जाता है हर कोई
अपने कल के लिए
जागता है इक सतगुरु
सब के हल के लिए

गुरु की तारीफ़ करूं कैसे......

गुरु की तारीफ़ करूं कैसे, मेरे शब्दों में इतना ज़ोर नहीं...
सारी दुनिया में जाकर ढूंढ लेना, मेरे गुरु जैसा कोई और नहीं....

कौन कहता है ...,

कौन कहता है ...,
रब नज़र नहीं आता..,
वही नज़र आता है..,
जब नज़र कुछ नहीं आता..!!

सो जाऊ के तेरी याद में

सो जाऊ के तेरी याद में खो जाऊ…
ये फैसला भी नहीं होता और सुबह हो जाती ह

Thursday 21 April 2016

Bhool kar apko jayenge kaha

Bhool kar apko jayenge kaha
Ek pal zameen par reh payenge kaha,
Apse hi muskurahat hai zindagi mein,
Bina apke reh payenge kaha

Kis Kadar Shukriya Ada Karu,

Kis Kadar Shukriya Ada Karu,
Us Khuda Ka, Alfaz Nahi Milte,
Zindagi Itni Khubsurat Na Hoti
Jo Aap Jaise Dost Nahi Milte..

मैं जिस दर नु लभ रिहा सी

मैं जिस दर नु लभ रिहा सी
ये ओ ही दर है
जिथे जिंदगी बनाई ही नही जान्दी सुधारी भी जान्दी है

जिस जिस पर मुर्शिद

जिस जिस पर मुर्शिद ने अपना नज़रे कर्म डाला
करके बेगम सबको खुशियोँ से दामन भर डाला

जब जब हूँ मैं हारा

जब जब हूँ मैं हारा
"सतगुरु" तूने दिया सहारा…!

जब जब ना मिला किनारा…
हे "सतगुरु" तूने पार उतारा…!

किसी शायर ने क्या खूब लिखा है

किसी शायर ने क्या खूब लिखा है---

*उन्हेँ क्या पता सतगुर की दीदार-ए- मस्ती का ।

जिनकी चाहत ही दुनिया के प्यार पे खत्म होती हो

ना ऊंच-नीच में रहूँ

ना ऊंच-नीच में रहूँ ना जात पात में रहूँ;
तू मेरे दिल में रहे सतगुरु और मैं औकात में रहूँ

परवाह नहीँ चाहे जमाना कितना भी.....

परवाह नहीँ चाहे जमाना कितना भी खिलाफ हो....!!!

चलेँगे उसी राह पर जो सीधी (सच्ची) और साफ हो....!!!

Wednesday 20 April 2016

सारी दुनिया से दूर हो जाऊं

सारी दुनिया से दूर हो जाऊं,
तेरी आँखों का नूर हो जाऊँ
कर ऐसी रहमत मेरे मुर्शिद
तुझसे रु-ब-रु हो जाऊँ।।

हम थे ठुकराये दुनिया के....

हम थे ठुकराये दुनिया के
आपकी रहमत ने हमे सम्भाल लिया
हम लायक नही थे नफ़रत के
तुने प्यार से मालोमाल किया।

सोहने दातार जी

सोहने दातार जी
आप ही हो किरपा के आपार जी
लाज रखना दाता
बेड़ा कर देना मेरा पार जी

 

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